English
man of values , a poet , a thinker , a writer and a person beyond the boundaries...
तकलीफो की चादर ओढ़े किस्मत अपनी रोती है, समझौतों को गले लगाकर ख्वाहिश हर पल रोती हैं !!
abdul mohsin
5 Love
हसरतो वाले वो दिन अब याद आने लग गये, ख्वाहिशें भी मर गयी जब से कमाने लग गये !!
हम रोज़ गमों की आग में जलते रहते हैं, कुछ ख्वाब टूटकर रोज़ बिखरते रहते है !
हम तुमको सुनाए क्या, सब किससे अधूरे है! ना नींद मुक़म्मल है ना ख्वाब ही पूरे है !
3 Love
हक़ीक़त हैं यही अब तो ये अब सपना नही लगता, तुम्हारे बिन शहर में अब कोई अपना नही लगता !!
4 Love
यूँ तो उम्र भर पढ़ी थी किताब-ऐ-वफ़ा मैंने, पर इम्तिहान-ऐ-इश्क़ के काबिल ना हो सका! जिसे चाहते थे हम कभी खुद से ज्यादा बस एक वही शख्श हासिल ना हो सका !
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