उन सभी लोगों के लिए, जिन्होंने शायद कभी मुझे परखा | हिंदी Poetry

"उन सभी लोगों के लिए, जिन्होंने शायद कभी मुझे परखा था - मै अकेला खड़ा हिमालय हूं तुम टूटी हुई चट्टान प्रिए। मै लौह सी जलती आग हूं तुम हवा में उड़ती आंच प्रिए । मै उस समुद्र की लहर प्रिए तुम जिस समुद्र का कीड़ा हो कई कश्तियां डुबाई है मैंने तुम तो बस छोटी सी पीड़ा हो।।"

 उन सभी लोगों के लिए, जिन्होंने शायद कभी मुझे परखा था -
मै अकेला खड़ा हिमालय हूं
तुम टूटी हुई चट्टान प्रिए।
मै लौह सी जलती आग हूं
तुम हवा में उड़ती आंच प्रिए ।
मै उस समुद्र की लहर प्रिए
तुम जिस समुद्र का कीड़ा हो
कई कश्तियां डुबाई है मैंने
तुम तो बस छोटी सी पीड़ा हो।।

उन सभी लोगों के लिए, जिन्होंने शायद कभी मुझे परखा था - मै अकेला खड़ा हिमालय हूं तुम टूटी हुई चट्टान प्रिए। मै लौह सी जलती आग हूं तुम हवा में उड़ती आंच प्रिए । मै उस समुद्र की लहर प्रिए तुम जिस समुद्र का कीड़ा हो कई कश्तियां डुबाई है मैंने तुम तो बस छोटी सी पीड़ा हो।।

#Dream #Quote #selfrespect

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