- कुण्डलिया छंद - कोरोना भी आ रहा, नए साल के साथ। | हिंदी कविता

"- कुण्डलिया छंद - कोरोना भी आ रहा, नए साल के साथ। मानव के पीछे पड़ा, धोकर अपने हाथ।। धोकर अपने हाथ, मौत का बिगुल बजाता। बदल-बदलकर रूप, शक्तिशाली हो जाता।। सेनेटाइजर मास्क, और हाथों को धोना। लें बूस्टर का डोज, आ गया है कोरोना।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava"

 - कुण्डलिया छंद -
कोरोना भी आ रहा, नए साल के साथ।
मानव के पीछे पड़ा, धोकर अपने हाथ।।
धोकर अपने हाथ, मौत का बिगुल बजाता।
बदल-बदलकर रूप, शक्तिशाली हो जाता।।
सेनेटाइजर मास्क, और हाथों को धोना।
लें बूस्टर का डोज, आ गया है कोरोना।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

- कुण्डलिया छंद - कोरोना भी आ रहा, नए साल के साथ। मानव के पीछे पड़ा, धोकर अपने हाथ।। धोकर अपने हाथ, मौत का बिगुल बजाता। बदल-बदलकर रूप, शक्तिशाली हो जाता।। सेनेटाइजर मास्क, और हाथों को धोना। लें बूस्टर का डोज, आ गया है कोरोना।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

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