उसे अपनी शायरी में छुपाया है मैंने । उसे अपनी खामो

"उसे अपनी शायरी में छुपाया है मैंने । उसे अपनी खामोशी में बसाया है मैंने । वो आसमां है और खुद को जमीं बनाया है मैंने । वो मंजिल है और खुद को सफर बनाया है मैंने । वो सुबह का निकलता सूरज है और खुद को ढालता शाम बनाया है मैंने । वो हंसी है और खुद को दर्द बनाया है मैंने ।"

 उसे अपनी शायरी में छुपाया है मैंने ।
उसे अपनी खामोशी में बसाया है मैंने । 
वो आसमां है और खुद को जमीं बनाया है मैंने । 
वो मंजिल है और खुद को सफर बनाया है मैंने । 
वो सुबह का निकलता सूरज है और खुद को ढालता शाम बनाया है मैंने । 
वो हंसी है और खुद को दर्द बनाया है मैंने ।

उसे अपनी शायरी में छुपाया है मैंने । उसे अपनी खामोशी में बसाया है मैंने । वो आसमां है और खुद को जमीं बनाया है मैंने । वो मंजिल है और खुद को सफर बनाया है मैंने । वो सुबह का निकलता सूरज है और खुद को ढालता शाम बनाया है मैंने । वो हंसी है और खुद को दर्द बनाया है मैंने ।

#उसको_अपना_सब_कुछ_बनाया_में

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