उसे अपनी शायरी में छुपाया है मैंने ।
उसे अपनी खामोशी में बसाया है मैंने ।
वो आसमां है और खुद को जमीं बनाया है मैंने ।
वो मंजिल है और खुद को सफर बनाया है मैंने ।
वो सुबह का निकलता सूरज है और खुद को ढालता शाम बनाया है मैंने ।
वो हंसी है और खुद को दर्द बनाया है मैंने ।
#उसको_अपना_सब_कुछ_बनाया_में