मौत का पता नहीं , फिर भी हम संभले रहते हैं
पता नही हम किस बात से डरते हैं
हां हम ख़तरों का खिलाड़ी नही
पर सब देख हम चुप रहे इतने भी अनाड़ी नही
मौत का पता नही पर अपनी हालात बदलने के लिए भी दूसरों के भरोसे पड़े रहते हैं
जिसे हम देख नही सकते उस मौत के लिए भी हम संभले रहते हैं
खोने को एक जान हैं और पाने को पूरा जंहा
फिर भी हम लगे रहते जाएं तो जाएं कंहा
कब तक सिस्टम को कोसते रहे
जब बदलना हमारे इंकलाबी हाथों में हैं
ऐसी मौत का भी क्या जिस जनाजे में भीड़ ना हो
और मरने के बाद किसी के चेहरे पर नूर ना हो
अतीत में मौत के बहुत से किस्से हैं
जिनके मौत हमारे जीवन संवारने के हिस्से हैं
आज उनके नाम भी हमारे जुबां पे हैं
वरना लोग यहां अपनो को नही पहचानते
ये जो डर हैं हमें बुजदिल बनाता
फिर किस्मत के भरोसे जीने या इस सिस्टम का बंदी बनाता
अरे काहे का डर जब मरना हर हाल में हैं।
©Arun kr.
#मौत