वह आदमी जो इंसान रह रह के थक गया था एक शाम शहर से | हिंदी विचार

"वह आदमी जो इंसान रह रह के थक गया था एक शाम शहर से गांव लौटा तो चीखने चिल्लाने लगा बर्तन तोड़ दिए और एक दुकान का समान बाहर फेंक दिया वह कहता था की वह आदमी नहीं रहा ओ शेर चीता हाथी कुत्ता भेड़ बकरी मैसे कुछ हो सकता है लेकिन वह आदमी नहीं है ©Ashab Khan"

 वह आदमी जो इंसान रह रह के थक गया था एक शाम शहर से गांव लौटा तो चीखने चिल्लाने लगा बर्तन तोड़ दिए और एक दुकान का समान बाहर फेंक दिया वह कहता था की वह आदमी नहीं रहा ओ शेर चीता हाथी कुत्ता भेड़ बकरी मैसे कुछ हो सकता है लेकिन वह आदमी नहीं है

©Ashab Khan

वह आदमी जो इंसान रह रह के थक गया था एक शाम शहर से गांव लौटा तो चीखने चिल्लाने लगा बर्तन तोड़ दिए और एक दुकान का समान बाहर फेंक दिया वह कहता था की वह आदमी नहीं रहा ओ शेर चीता हाथी कुत्ता भेड़ बकरी मैसे कुछ हो सकता है लेकिन वह आदमी नहीं है ©Ashab Khan

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