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मरहूम को बचपन से बड़ा आदमी बनने का शौक था मंटोइयत जौनियत दरवेश
डॉक्टर साहब यहां पर सीने में एक खला सा है अजीब वहशत है यहां तो शायद दिल होता है ??..वह सीने पर हाथ रख डॉक्टर से कह रहा था डॉक्टर साहब मे आपको समझा नहीं सकता दरअसल मेरे पास मुनासिब शब्द ह ही नहीं ... क्या आपने कभी सहरा देखा है ?.. ©Ashab Khan
Ashab Khan
11 Love
वह आदमी जो इंसान रह रह के थक गया था एक शाम शहर से गांव लौटा तो चीखने चिल्लाने लगा बर्तन तोड़ दिए और एक दुकान का समान बाहर फेंक दिया वह कहता था की वह आदमी नहीं रहा ओ शेर चीता हाथी कुत्ता भेड़ बकरी मैसे कुछ हो सकता है लेकिन वह आदमी नहीं है ©Ashab Khan
10 Love
एक माँ का किरदार समाज का दिया हुआ और फितरत का वसूल है इस मे एहसान जैसा कुछ नहीं है माँ बच्चों का बोझ उठाती है एक वजूद का दुनिया में आना उन ही के वचन का कारण है जो खुद ना खा सकता ना पी सकता इस लिए चेतना आने तक सारी जिम्मेदारी उन का पहला फ़र्ज़ है अगर माँ बाप ना चाहते तो एक इंसान का आना मुमकिन न था और माँ बाप आजाद थे इस लिए जो अमल हुआ है उसके जिम्मेदार आप हैं ©Ashab Khan
13 Love
आकर्षक सैलरी और आकर्षक सेक्रेटरी में कौन सी चीज ज्यादा आकर्षक है ?? ©Ashab Khan
जब तक हाथ से भलाई निकल रही ह ज़वाल नहीं आसकता भलाई का मतलब एक प्लेट खाना कुछ पैसे अच्छा मशवरा दुख मे दिलासे किसी की खुशी मे बिना हसद के मुबारकबाद देना और उन जैसे छोटी छोटी बाते जिन की वजह से लोगो मे खुशियाँ वितरण की सकती है ©Ashab Khan
8 Love
दिमाग किसी भूखे सपेरे का ओ नुमाइशी सांप है जो बीन के धुन पर नहीं पिटारी की घूटन से तंग आकर अपना फन फैलाता है... ©Ashab Khan
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