ये अंधेरे से कभी न डरने वाला इंसान, आज खुद से डरने | हिंदी Poetry

"ये अंधेरे से कभी न डरने वाला इंसान, आज खुद से डरने लगा है.. जो जीता था जिंदगी कभी अपने अंदाज से, आज पल पल मरने लगा है..। शायद कमजोर हो गया है, या चाहने लगा है खुद से भी ज्यादा किसी को.. क्या कहे, किसे कहे, कोई सुनेगा नहीं शायद, ये सोच सोच कर जी भरने लगा है..।। ख्वाइश है के किसी रोज वो आकर मिले इस तरह, के जान निकलने में आसानी हो.. बस जी भर गया है जिंदगी से, ये खेल इतना ही था, अब मरने को जी करने लगा है..।।। ©Veenu Soni"

 ये अंधेरे से कभी न डरने वाला इंसान, आज खुद से डरने लगा है..
जो जीता था जिंदगी कभी अपने अंदाज से, आज पल पल मरने लगा है..।
शायद कमजोर हो गया है, या चाहने लगा है खुद से भी ज्यादा किसी को..
क्या कहे, किसे कहे, कोई सुनेगा नहीं शायद, ये सोच सोच कर जी भरने लगा है..।। 
ख्वाइश है के किसी रोज वो आकर मिले इस तरह, के जान निकलने में आसानी हो..
बस जी भर गया है जिंदगी से, ये खेल इतना ही था, अब मरने को जी करने लगा है..।।।

©Veenu Soni

ये अंधेरे से कभी न डरने वाला इंसान, आज खुद से डरने लगा है.. जो जीता था जिंदगी कभी अपने अंदाज से, आज पल पल मरने लगा है..। शायद कमजोर हो गया है, या चाहने लगा है खुद से भी ज्यादा किसी को.. क्या कहे, किसे कहे, कोई सुनेगा नहीं शायद, ये सोच सोच कर जी भरने लगा है..।। ख्वाइश है के किसी रोज वो आकर मिले इस तरह, के जान निकलने में आसानी हो.. बस जी भर गया है जिंदगी से, ये खेल इतना ही था, अब मरने को जी करने लगा है..।।। ©Veenu Soni

#cycle

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