पैसा कितना भी हो पर अपनी असलियत दिखा जाते है लोग | हिंदी कविता

"पैसा कितना भी हो पर अपनी असलियत दिखा जाते है लोग दो रोटी खिला नही सकते किसी को पर दिखावे के लिए शामियाने लगा देते है लोग नही छोड़ते औरों को नीचा दिखाने का कोई मौका बैठे बैठे कितने शरयंत्र रच जाते है लोग नशा बहुत है, माया और काया अभी साथ है गुरुर , अहंकार का नस नस में इनकी वास है खौफ खुदा का नही इनको ज़रा भी खुद को ही खुदा मान बैठे है ये लोग ©Savita Nimesh"

 पैसा कितना भी हो पर अपनी 
असलियत दिखा जाते है लोग

दो रोटी खिला नही सकते किसी को
पर दिखावे के लिए शामियाने लगा देते है लोग

नही छोड़ते औरों को नीचा दिखाने का कोई मौका
बैठे बैठे कितने शरयंत्र रच जाते है लोग

नशा बहुत है, माया और काया अभी साथ है
गुरुर , अहंकार का नस नस में इनकी वास है

खौफ खुदा का नही इनको ज़रा भी
खुद को ही खुदा मान बैठे है ये लोग

©Savita Nimesh

पैसा कितना भी हो पर अपनी असलियत दिखा जाते है लोग दो रोटी खिला नही सकते किसी को पर दिखावे के लिए शामियाने लगा देते है लोग नही छोड़ते औरों को नीचा दिखाने का कोई मौका बैठे बैठे कितने शरयंत्र रच जाते है लोग नशा बहुत है, माया और काया अभी साथ है गुरुर , अहंकार का नस नस में इनकी वास है खौफ खुदा का नही इनको ज़रा भी खुद को ही खुदा मान बैठे है ये लोग ©Savita Nimesh

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