पैसा कितना भी हो पर अपनी
असलियत दिखा जाते है लोग
दो रोटी खिला नही सकते किसी को
पर दिखावे के लिए शामियाने लगा देते है लोग
नही छोड़ते औरों को नीचा दिखाने का कोई मौका
बैठे बैठे कितने शरयंत्र रच जाते है लोग
नशा बहुत है, माया और काया अभी साथ है
गुरुर , अहंकार का नस नस में इनकी वास है
खौफ खुदा का नही इनको ज़रा भी
खुद को ही खुदा मान बैठे है ये लोग
©Savita Nimesh
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