आसमान में सब तारे टिमटिमाते तो अच्छा होता अपनी रोश | हिंदी Shayari

"आसमान में सब तारे टिमटिमाते तो अच्छा होता अपनी रोशनी बिखेर फलक पर जगमगाते तो अच्छा होता क्यों है कुछ तारों की नसीब में गर्दिश में चले जाना चमकते चमकते सब अपना मुकाम पाते तो अच्छा होता कुछ क्रूर ग्रहों की छाया जो ना पङती उन पर जीवन में अपने सब सपने सच कर जाते तो अच्छा होता कहां नसीब हो पाती हैं हर शख्स को मनचाही मंजिलें मुकाम ही खुद रास्ते बनाते तो अच्छा होता कब तक अपनी पीड़ा को यूं ही शब्दों में बयां करेंगे *अनु* लफ्जों के तीर दिल के पार हो जाते तो अच्छा होता ©Anita Agarwal"

 आसमान में सब तारे टिमटिमाते तो अच्छा होता
अपनी रोशनी बिखेर फलक पर जगमगाते तो अच्छा होता

क्यों है कुछ तारों की नसीब में गर्दिश में चले जाना
चमकते चमकते सब अपना मुकाम पाते तो अच्छा होता

कुछ क्रूर ग्रहों की छाया जो ना पङती उन पर
जीवन में अपने सब सपने सच कर जाते तो अच्छा होता

कहां नसीब हो पाती हैं हर शख्स को मनचाही मंजिलें
मुकाम ही खुद रास्ते बनाते तो अच्छा होता

कब तक अपनी पीड़ा को यूं ही शब्दों में बयां करेंगे *अनु*
लफ्जों के तीर दिल के पार हो जाते तो अच्छा होता

©Anita Agarwal

आसमान में सब तारे टिमटिमाते तो अच्छा होता अपनी रोशनी बिखेर फलक पर जगमगाते तो अच्छा होता क्यों है कुछ तारों की नसीब में गर्दिश में चले जाना चमकते चमकते सब अपना मुकाम पाते तो अच्छा होता कुछ क्रूर ग्रहों की छाया जो ना पङती उन पर जीवन में अपने सब सपने सच कर जाते तो अच्छा होता कहां नसीब हो पाती हैं हर शख्स को मनचाही मंजिलें मुकाम ही खुद रास्ते बनाते तो अच्छा होता कब तक अपनी पीड़ा को यूं ही शब्दों में बयां करेंगे *अनु* लफ्जों के तीर दिल के पार हो जाते तो अच्छा होता ©Anita Agarwal

अच्छा होता

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