Anita Agarwal

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*इक दीया जलाना* लो फिर से है आई दिवाली कुछ दीये जलाना ध्यान से खत्म करे जो क्रूर अंधेरा दया, प्रेम, सम्मान से। इक दीया जलाना शांति का, जो करे अमन का उजियारा। घर घर मे लक्ष्मी वास करे, खुशहाल रहे ये जग सारा। इक दीया जलाना समता का जो समझे सबको एक समान जिसकी रोशनी मे दिखे इन्सान को हर कोई इंसान। इक दीया जलाना स्नेह का जो सिखला दे करना प्यार जिसकी रोशनी से छनकर स्नेह ही बरसे बेशुमार। इक दीया जलाना करुणा का, दीन दुखी जो कोई मिले पाकर मदद जरूरत की, उसके चेहरे पे तेज खिले। एक दीया जलाना विद्या का जिसकी आभा कुछ यू बिखरे, पाकर प्रकाश ग्यान का फिर हर बुद्धि और हर मन निखरे। इक दीया जलाना सहिष्णुता का, जो सबसे आज जरूरी है। धर्म जाति मे बंटकर जाने आ गई कितनी दूरी है। हर इक धर्म और हर विश्वास, सबका अपना है सम्मान। सौहार्द का भाव जगा दे जो, वो दीया जलाना तुम इंसान। ©Anita Agarwal

#Motivational  *इक दीया जलाना*

लो फिर से है आई दिवाली
कुछ दीये जलाना ध्यान से
खत्म करे जो क्रूर अंधेरा
दया, प्रेम, सम्मान से।
        इक दीया जलाना शांति का, 
      जो करे अमन का उजियारा। 
     घर घर मे लक्ष्मी वास करे, 
      खुशहाल रहे ये जग सारा। 
इक दीया जलाना समता का 
जो समझे सबको एक समान 
 जिसकी रोशनी मे दिखे 
इन्सान को हर कोई इंसान।
      इक दीया जलाना स्नेह का 
      जो सिखला दे करना प्यार 
      जिसकी रोशनी से छनकर
      स्नेह ही बरसे बेशुमार। 
इक दीया जलाना करुणा का, 
दीन दुखी  जो कोई मिले 
पाकर मदद जरूरत की, 
उसके चेहरे पे तेज खिले।
    एक दीया जलाना विद्या का
    जिसकी आभा कुछ यू बिखरे, 
    पाकर प्रकाश ग्यान का फिर
    हर बुद्धि और हर मन निखरे। 
इक दीया जलाना सहिष्णुता का, 
जो सबसे आज जरूरी है। 
 धर्म जाति मे बंटकर जाने 
आ गई कितनी दूरी है।
    हर इक धर्म और हर विश्वास, 
    सबका अपना है सम्मान।  
    सौहार्द का भाव जगा दे जो, 
    वो दीया जलाना तुम इंसान।

©Anita Agarwal

Happy diwali

13 Love

White *इक दीया जलाना* लो फिर से है आई दिवाली कुछ दीये जलाना ध्यान से खत्म करे जो क्रूर अंधेरा दया, प्रेम, सम्मान से। इक दीया जलाना शांति का, जो करे अमन का उजियारा। घर घर मे लक्ष्मी वास करे, खुशहाल रहे ये जग सारा। इक दीया जलाना समता का जो समझे सबको एक समान जिसकी रोशनी मे दिखे इन्सान को हर कोई इंसान। इक दीया जलाना स्नेह का जो सिखला दे करना प्यार जिसकी रोशनी से छनकर स्नेह ही बरसे बेशुमार। इक दीया जलाना करुणा का, दीन दुखी जो कोई मिले पाकर मदद जरूरत की, उसके चेहरे पे तेज खिले। एक दीया जलाना विद्या का जिसकी आभा कुछ यू बिखरे, पाकर प्रकाश ग्यान का फिर हर बुद्धि और हर मन निखरे। इक दीया जलाना सहिष्णुता का, जो सबसे आज जरूरी है। धर्म जाति मे बंटकर जाने आ गई कितनी दूरी है। हर इक धर्म और हर विश्वास, सबका अपना है सम्मान। सौहार्द का भाव जगा दे जो, वो दीया जलाना तुम इंसान। ©Anita Agarwal

#Motivational #happy_diwali  White *इक दीया जलाना*

लो फिर से है आई दिवाली
कुछ दीये जलाना ध्यान से
खत्म करे जो क्रूर अंधेरा
दया, प्रेम, सम्मान से।
        इक दीया जलाना शांति का, 
      जो करे अमन का उजियारा। 
     घर घर मे लक्ष्मी वास करे, 
      खुशहाल रहे ये जग सारा। 
इक दीया जलाना समता का 
जो समझे सबको एक समान 
 जिसकी रोशनी मे दिखे 
इन्सान को हर कोई इंसान।
      इक दीया जलाना स्नेह का 
      जो सिखला दे करना प्यार 
      जिसकी रोशनी से छनकर
      स्नेह ही बरसे बेशुमार। 
इक दीया जलाना करुणा का, 
दीन दुखी  जो कोई मिले 
पाकर मदद जरूरत की, 
उसके चेहरे पे तेज खिले।
    एक दीया जलाना विद्या का
    जिसकी आभा कुछ यू बिखरे, 
    पाकर प्रकाश ग्यान का फिर
    हर बुद्धि और हर मन निखरे। 
इक दीया जलाना सहिष्णुता का, 
जो सबसे आज जरूरी है। 
 धर्म जाति मे बंटकर जाने 
आ गई कितनी दूरी है।
    हर इक धर्म और हर विश्वास, 
    सबका अपना है सम्मान।  
    सौहार्द का भाव जगा दे जो, 
    वो दीया जलाना तुम इंसान।

©Anita Agarwal

White *इंतजार* ए चांद जरा खुश हो ले तू आज तेरी कीमत कितनी बढ़ गई है, तेरे दीदार को हर सुहागन ऊंची से ऊंची छत पे चढ़ गई है। हर सुन्दर चीज की तुलना तुझसे ही तो करते है, चांद सा मुखड़ा, चांद सी दुल्हन,चंदा मामा .. जाने क्या क्या कहते है। यू तो तू रोज आता है जाता है आसमान मे, घटता है बढ़ता है कभी छुप जाता है बादलों की ओट मे, पर तुझसे बेखबर हम लगे रहते जीवन की भाग दौड़ मे। पर आज अचानक तू इतना खास हो गया, तू नहीं दिखा तो हर चेहरा उदास हो गया। आज तेरा भी दिन है, कितनी आँखों को तेरा इंतजार है, तुझे देख के खोलना है व्रत जाने कितनी सुहागिनों को, यही तो जीवनसाथी के लिए सच्चा प्यार है। ©Anita Agarwal

#karwachouth #Bhakti  White 

                      *इंतजार*

                  ए चांद जरा खुश हो ले तू
आज तेरी कीमत कितनी बढ़ गई है, 
तेरे दीदार को हर सुहागन
ऊंची से ऊंची छत पे चढ़ गई है। 

हर सुन्दर चीज की तुलना तुझसे ही तो करते है, 
चांद सा मुखड़ा, चांद सी दुल्हन,चंदा मामा .. जाने क्या क्या कहते है। 

यू तो तू रोज आता है जाता है आसमान मे, 
घटता है बढ़ता है कभी छुप जाता है बादलों की ओट मे, 
पर तुझसे बेखबर हम लगे रहते जीवन
 की भाग दौड़ मे। 

पर आज अचानक तू इतना खास हो गया, 
तू नहीं दिखा तो हर चेहरा उदास हो गया। 

आज तेरा भी दिन है, 
कितनी आँखों को तेरा इंतजार है, 
तुझे देख के खोलना है व्रत जाने कितनी सुहागिनों को, 
यही तो जीवनसाथी के लिए सच्चा प्यार है।

©Anita Agarwal

#karwachouth

14 Love

नारी कब- कब हारी कभी वह हारी अपनों से तो कभी स्वयं के सपनों से कभी समाज की सोच से कभी कर्तव्यों के बोझ से कभी रीति और रिवाज से कभी पुरुष के नाज से कभी अनचाही जंजीरों से कभी कुछ पत्थर की लकीरों से। कभी महानता की होड़ में कभी त्याग और समर्पण की दौड़ में कभी धोखे और छल से कभी दम्भी अहंकारी बल से चार दिवारी में बंद नियति से कभी ममतामई प्रवृत्ति से कभी दया धर्म के वास्ते कभी समर्पण के रास्ते कभी लक्ष्य की राह में कभी किंचित सी चाह में कभी पहुंच कर मुकाम पर कभी स्त्री होने के नाम पर ऐसे अवसर पड़ गए भारी जब जब नारी बस यूं ही हारी ©Anita Agarwal

#narikabkabhari #SAD  नारी कब- कब हारी

कभी वह हारी अपनों से
तो कभी स्वयं के सपनों से
कभी समाज की सोच से 
कभी कर्तव्यों के बोझ से 

कभी रीति और रिवाज से
कभी पुरुष के नाज से
कभी अनचाही जंजीरों से
कभी कुछ पत्थर की लकीरों से।

कभी महानता की होड़ में
कभी त्याग और समर्पण की दौड़ में
कभी धोखे और छल से
कभी दम्भी अहंकारी बल से

चार दिवारी में बंद नियति से
कभी ममतामई प्रवृत्ति से
कभी दया धर्म के वास्ते 
कभी समर्पण के रास्ते

कभी लक्ष्य की राह में
कभी किंचित सी चाह में
कभी पहुंच कर मुकाम पर
कभी स्त्री होने के नाम पर

ऐसे अवसर पड़ गए भारी
जब जब नारी बस यूं ही हारी

©Anita Agarwal

White भटकता है मन यहां वहां मन पर सुसज्जित कौन है हाथ में खंजर मुख पर मुस्कान बिखेरे, आत्मा रक्त रंजित कौन है बद से बदतर होते जा रहे आचार और विचार इनके दुष्प्रभाव से अकारण ही शोषित कौन है औरों पर एक तो चार खुद पर भी उठेगी इल्जाम लगाने से पहले देखो कि इंगित कौन है कब तक करते रहेंगे मिलावट श्रद्धा और भक्ति में भी एक बार तो सोचो कि कण कण में समाहित कौन है औरों की जानकारी रखते हैं स्वयं से ज्यादा पर सही मायने में स्वयं से परिचित कौन है ©Anita Agarwal

#Motivational  White भटकता है मन यहां वहां मन पर सुसज्जित कौन है
हाथ में खंजर मुख पर मुस्कान बिखेरे, 
आत्मा रक्त रंजित कौन है

बद से बदतर होते जा रहे आचार और विचार
इनके दुष्प्रभाव से अकारण ही शोषित कौन है

औरों पर एक तो चार खुद पर भी उठेगी
इल्जाम लगाने से पहले देखो कि इंगित कौन है

कब तक करते रहेंगे मिलावट श्रद्धा और भक्ति में भी
एक बार तो सोचो कि कण कण में समाहित कौन है

औरों की जानकारी रखते हैं स्वयं से ज्यादा
पर सही मायने में स्वयं से परिचित कौन है

©Anita Agarwal

कौन है

10 Love

White *जय अग्रोहा जय अग्रसेन* 🙏🙏 जय अग्र वंश के संस्थापक नमन शीश झुका कर करते, वंशज है श्रीराम चंद्र के गौरव शाली इतिहास है रखते। आश्विन शुक्ला प्रतिपदा को जन्म जयंती है शुभ दिन, अग्रवाल इतिहास की गाथा रहे अधूरी जिनके बिन । वैश्य समाज की प्रगति हेतु जो संकल्प उठाया था, अपने सिद्धांतों से उसको करके साकार दिखाया था । समाजवाद भी देन है जिनकी एकता की भावना को जगाया, सामाजिक आर्थिक संस्कृतिक रूप से वैश्य समाज को समृद्ध बनाया । पशु बलि को बंद किया जीवन के मह्त्व को समझाया, इस धरती पर हो स्वर्ग सा जीवन उत्तम विचार यह अपनाया। गोत्र अठारह देन है जिनकी अठारह यज्ञ संपन्न किए, वाणिज्य व्यापार से धनोपार्जन के मार्ग को थे प्रशस्त किए। हरियाणा हिसार प्रांत मे नगर बसाया अग्रोहा अग्र समाज के लिए गर्व से धाम पांचवां कहलाया। कर्मठता के प्रतीक और नव समाज के निर्माता। जनक पिता है पूजनीय हैं श्री अग्रसेन हैं अग्र विधाता । ©Anita Agarwal

#Motivational #Agrasen  White *जय अग्रोहा जय अग्रसेन* 🙏🙏

जय अग्र वंश के संस्थापक 
नमन शीश झुका कर करते, 
वंशज है श्रीराम चंद्र के 
गौरव शाली इतिहास है रखते।

आश्विन शुक्ला प्रतिपदा को
 जन्म जयंती है शुभ दिन, 
अग्रवाल इतिहास की गाथा
 रहे अधूरी जिनके बिन ।

वैश्य समाज की प्रगति हेतु 
जो संकल्प उठाया था, 
अपने सिद्धांतों से उसको 
करके साकार दिखाया था ।

समाजवाद भी देन है जिनकी 
एकता की भावना को जगाया, 
सामाजिक आर्थिक संस्कृतिक रूप से
 वैश्य समाज को समृद्ध बनाया ।

पशु बलि को बंद किया जीवन
के मह्त्व को समझाया, 
इस धरती पर हो स्वर्ग सा जीवन
 उत्तम विचार यह अपनाया। 

गोत्र अठारह देन है जिनकी 
अठारह यज्ञ संपन्न किए, 
वाणिज्य व्यापार से धनोपार्जन के
 मार्ग को थे प्रशस्त किए। 

हरियाणा हिसार प्रांत मे 
नगर बसाया अग्रोहा
अग्र समाज के लिए गर्व से
 धाम पांचवां कहलाया। 

कर्मठता के प्रतीक और 
नव समाज के निर्माता। 
जनक पिता है पूजनीय हैं
श्री अग्रसेन हैं अग्र विधाता ।

©Anita Agarwal

#Agrasen jayanti

15 Love

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