*इक दीया जलाना*
लो फिर से है आई दिवाली
कुछ दीये जलाना ध्यान से
खत्म करे जो क्रूर अंधेरा
दया, प्रेम, सम्मान से।
इक दीया जलाना शांति का,
जो करे अमन का उजियारा।
घर घर मे लक्ष्मी वास करे,
खुशहाल रहे ये जग सारा।
इक दीया जलाना समता का
जो समझे सबको एक समान
जिसकी रोशनी मे दिखे
इन्सान को हर कोई इंसान।
इक दीया जलाना स्नेह का
जो सिखला दे करना प्यार
जिसकी रोशनी से छनकर
स्नेह ही बरसे बेशुमार।
इक दीया जलाना करुणा का,
दीन दुखी जो कोई मिले
पाकर मदद जरूरत की,
उसके चेहरे पे तेज खिले।
एक दीया जलाना विद्या का
जिसकी आभा कुछ यू बिखरे,
पाकर प्रकाश ग्यान का फिर
हर बुद्धि और हर मन निखरे।
इक दीया जलाना सहिष्णुता का,
जो सबसे आज जरूरी है।
धर्म जाति मे बंटकर जाने
आ गई कितनी दूरी है।
हर इक धर्म और हर विश्वास,
सबका अपना है सम्मान।
सौहार्द का भाव जगा दे जो,
वो दीया जलाना तुम इंसान।
©Anita Agarwal
Happy diwali