**भारत माता** धरती से अम्बर तक फैला, जिसका रूप अन | हिंदी कविता

"**भारत माता** धरती से अम्बर तक फैला, जिसका रूप अनोखा है। हर कण में बसी हो तुम, भारत माँ, तेरा ही तो शोभा है। चरणों में तेरे गंगा बहती, शीष पर हिमालय का ताज। सुनती हो तुम जन-जन की वाणी, तू ही है हम सबकी लाज। खेतों में हरियाली छाई, नदियों में संगीत है। तेरी गोद में वीर जनमते, तू शक्ति का प्रतीक है। बलिदानों की गाथाएँ गूँजें, तेरे अमर सपूतों की। तू धरा की वीरांगना, गाथा गढ़ती हर युग की। तेरे आँचल में सुख की छाया, तेरी माटी में सोना है। हम सबकी आशा और आस्था, तू ही हमारा सपना है। जय भारत, जय जननी, तुझसे ही है हम सबका मान। भारत माता, तुझसे ही, हम सबका जीवन, सबका सम्मान। ©Himanshu Sahu"

 **भारत माता**

धरती से अम्बर तक फैला,
जिसका रूप अनोखा है।
हर कण में बसी हो तुम,
भारत माँ, तेरा ही तो शोभा है।

चरणों में तेरे गंगा बहती,
शीष पर हिमालय का ताज।
सुनती हो तुम जन-जन की वाणी,
तू ही है हम सबकी लाज।

खेतों में हरियाली छाई,
नदियों में संगीत है।
तेरी गोद में वीर जनमते,
तू शक्ति का प्रतीक है।

बलिदानों की गाथाएँ गूँजें,
तेरे अमर सपूतों की।
तू धरा की वीरांगना,
गाथा गढ़ती हर युग की।

तेरे आँचल में सुख की छाया,
तेरी माटी में सोना है।
हम सबकी आशा और आस्था,
तू ही हमारा सपना है।

जय भारत, जय जननी,
तुझसे ही है हम सबका मान।
भारत माता, तुझसे ही,
हम सबका जीवन, सबका सम्मान।

©Himanshu Sahu

**भारत माता** धरती से अम्बर तक फैला, जिसका रूप अनोखा है। हर कण में बसी हो तुम, भारत माँ, तेरा ही तो शोभा है। चरणों में तेरे गंगा बहती, शीष पर हिमालय का ताज। सुनती हो तुम जन-जन की वाणी, तू ही है हम सबकी लाज। खेतों में हरियाली छाई, नदियों में संगीत है। तेरी गोद में वीर जनमते, तू शक्ति का प्रतीक है। बलिदानों की गाथाएँ गूँजें, तेरे अमर सपूतों की। तू धरा की वीरांगना, गाथा गढ़ती हर युग की। तेरे आँचल में सुख की छाया, तेरी माटी में सोना है। हम सबकी आशा और आस्था, तू ही हमारा सपना है। जय भारत, जय जननी, तुझसे ही है हम सबका मान। भारत माता, तुझसे ही, हम सबका जीवन, सबका सम्मान। ©Himanshu Sahu

#petriotic देशभक्ति कविता

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