मनसा वासी नैन सुबास । हठी छैल अवि टेढ़ी जात ।। क

"मनसा वासी नैन सुबास । हठी छैल अवि टेढ़ी जात ।। कन्दर्प सलोनी तीत रूद्र समान । पल को प्रसून इक पल में आर ।। © vrindaa"

 मनसा वासी  नैन सुबास ।
 हठी छैल अवि टेढ़ी जात ।।
कन्दर्प सलोनी तीत रूद्र  समान ।
पल को प्रसून इक पल में आर ।।

© vrindaa

मनसा वासी नैन सुबास । हठी छैल अवि टेढ़ी जात ।। कन्दर्प सलोनी तीत रूद्र समान । पल को प्रसून इक पल में आर ।। © vrindaa

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