कुछ बीते कल का...,कुछ चुप से पल सा...,
कुछ घने वन सा...,कुछ पंछियों के मन सा...,
कुछ बातें...,कुछ शरारतें...,कुछ नमकीन सी नादानियां,
हलकी सी मस्तियों के बीच..., कुछ अपनेपन सा...,
यंही कंही आसपास...,फिरभी खुद के बहोत पास...,
थोड़े से बहार...,फ़िरभी कुछ भीतर सा...,
कुछ बीते कल का...,कुछ चुप से पल सा।
©Mohit Raval