अबकी जो मिलने आना तो जरा फुरसत लेकर आना पास बैठना | हिंदी Poetry

"अबकी जो मिलने आना तो जरा फुरसत लेकर आना पास बैठना हमारे तुम्हें है दिल का हाल बताना जो नहीं थे तुम तो कैसा गुजरा ये जमाना अपना ही शहर लगता था बेगाना जो नहीं थे तुम तो दोस्त अक्सर कहते थे इतने बातूनी हो तुम अब चुप से क्यों रहते हो जो नहीं थे तुम तो उदासियां सिसकती थीं ये अखियां बस राह तुम्हारा तकती थीं तुमसे बेबसी का आलम है जताना अबकी जो मिलने आना तो जरा फुरसत लेकर आना ©Garima Srivastava"

 अबकी जो मिलने आना
तो जरा फुरसत लेकर आना
पास बैठना हमारे
तुम्हें है दिल का हाल बताना

जो नहीं थे तुम
तो कैसा गुजरा ये जमाना
अपना ही शहर लगता था बेगाना

जो नहीं थे तुम
तो दोस्त अक्सर कहते थे 
इतने बातूनी हो तुम
अब चुप से क्यों रहते हो 

जो नहीं थे तुम
तो उदासियां सिसकती थीं 
ये अखियां बस राह तुम्हारा तकती थीं 

तुमसे बेबसी का आलम है जताना
अबकी जो मिलने आना
तो जरा फुरसत लेकर आना

©Garima Srivastava

अबकी जो मिलने आना तो जरा फुरसत लेकर आना पास बैठना हमारे तुम्हें है दिल का हाल बताना जो नहीं थे तुम तो कैसा गुजरा ये जमाना अपना ही शहर लगता था बेगाना जो नहीं थे तुम तो दोस्त अक्सर कहते थे इतने बातूनी हो तुम अब चुप से क्यों रहते हो जो नहीं थे तुम तो उदासियां सिसकती थीं ये अखियां बस राह तुम्हारा तकती थीं तुमसे बेबसी का आलम है जताना अबकी जो मिलने आना तो जरा फुरसत लेकर आना ©Garima Srivastava

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