Garima Srivastava

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कमाल का हुनर रखते हो तुम खामोशियों को भी पढ़ते हो छुपा क्या है इस दिल में मेरे सच कहूं तो तुम ये भी समझते हो ©Garima Srivastava

#jazbaat_by_garima #Hindi #insta  कमाल का हुनर रखते हो 
तुम खामोशियों को भी पढ़ते हो 
छुपा क्या है इस दिल में मेरे
सच कहूं तो तुम ये भी समझते हो

©Garima Srivastava

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वो सांवला सा एक लड़का नशीली आंखे है रखता देखकर उसे अब हम होश में नहीं रहते ना जाने वो आइना कैसे देखता होगा ©Garima Srivastava

#jazbaat_by_garima #roseday #shyari #Hindi  वो सांवला सा एक लड़का 
नशीली आंखे है रखता
देखकर उसे अब हम होश में नहीं रहते
ना जाने वो आइना कैसे देखता होगा

©Garima Srivastava

White ये खुदाया मुझपर कुछ ऐसी रहमत हो जाए की जब जब सोचूं उसे वो मेरे सामने आ जाए ©Garima Srivastava

#jazbaatbygarima #goodnightimages #hindiwriting #poerty  White ये खुदाया मुझपर कुछ ऐसी रहमत हो जाए 
की जब जब सोचूं उसे 
वो मेरे सामने आ जाए

©Garima Srivastava

वो खिड़कियां वो दरवाजें वो पीपल के दरख्ते सब हैं अपनी जगह पर इन्हें तुम नहीं दिखते वो कमरा वो बिस्तरा वो चादर की सिलवटें देखती हैं मुझे पर इन्हें तुम नहीं दिखते वो छत जहां पर हम शामें घंटों बिताते थे अब उस छत के बंद दरवाज़ों को तुम नहीं दिखते ©Garima Srivastava

#jazbaat_by_garima #insyagram #snowfall #Hindi  वो खिड़कियां वो दरवाजें 
वो पीपल के दरख्ते 
सब हैं अपनी जगह
पर इन्हें तुम नहीं दिखते

वो कमरा वो बिस्तरा 
वो चादर की सिलवटें
देखती हैं मुझे
पर इन्हें तुम नहीं दिखते

वो छत जहां पर हम
शामें घंटों बिताते थे
अब उस छत के बंद 
दरवाज़ों को तुम नहीं दिखते

©Garima Srivastava

भला क्यूं ना रहुं मैं फिक्रजादा कि मैं एक बेटी की मां हुं नजरे लगी रहती हैं उसी पर रह ना जाए मुझसे कोई कमी कहीं पर महीनों के उन दिनों के बारे में बतलाना है खुद को कैसे संभाले ये उन्हें सिखलाना है करानी है उन्हें पहचान उन निगाहों की अच्छे बुरे बदलते हुए जमानों की बताना है उसे शारीरिक बदलाव का होना आसान नहीं होता एक बेटी की मां होना जो चलती थी कभी घुटनों पर कब वो खड़ी हो गई पता ही नहीं चलता कि ये बेटियां कब बड़ी हो गई ©Garima Srivastava

#jazbaat_by_garima #MainAurMaa #insta  भला क्यूं ना रहुं मैं फिक्रजादा 
कि मैं एक बेटी की मां हुं 

नजरे लगी रहती हैं उसी पर
रह ना जाए मुझसे कोई कमी कहीं पर

महीनों के उन दिनों के बारे में बतलाना है 
खुद को कैसे संभाले ये उन्हें सिखलाना है 

करानी है उन्हें पहचान उन निगाहों की
अच्छे बुरे बदलते हुए जमानों की 

बताना है उसे शारीरिक बदलाव का होना
आसान नहीं होता एक बेटी की मां होना

जो चलती थी कभी घुटनों पर 
कब वो खड़ी हो गई 

पता ही नहीं चलता कि 
ये बेटियां कब बड़ी हो गई

©Garima Srivastava

White वो पूछता है मुझसे की मैं याद आता हूं या नहीं अब कैसे बताऊं उसे की वो मेरे दिलो दिमाग से जाता ही नहीं अब कैसे बताऊं उसे, किन लफ्जों में जताऊ उसे की जब जब सासें लेती हूं वो आता जाता है बन धड़कन सीने में मेरे दिल को धड़काता है याद उसे करके मैं कितना रोती हुं अब तो ये आलम है कि आखों में निंद की जगह उसे ही भरकर सोती हुं बारिश की बूंदों के जैसे वो तन मन महकाता है अब कैसे बताऊं मैं उसे वो याद बहुत आता है वो याद बहुत आता है ©Garima Srivastava

#woyaadbahutaatahai #jazbaat_by_garima #sad_shayari #Instagram  White वो पूछता है मुझसे की मैं याद आता हूं या नहीं 
अब कैसे बताऊं उसे की वो
 मेरे दिलो दिमाग से जाता ही नहीं 
अब कैसे बताऊं उसे, 
किन लफ्जों में जताऊ उसे
की जब जब सासें लेती हूं 
वो आता जाता है 
बन धड़कन सीने में 
मेरे दिल को धड़काता है 
याद उसे करके मैं कितना रोती हुं 
अब तो ये आलम है कि 
आखों में निंद की जगह 
उसे ही भरकर सोती हुं 
बारिश की बूंदों के जैसे 
वो तन मन महकाता है 
अब कैसे बताऊं मैं उसे 
वो याद बहुत आता है 
वो याद बहुत आता है

©Garima Srivastava
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