हवाओं का शोर चल पड़ा हैं ना जाने ये कैसा दौर चल पड | हिंदी शायरी

"हवाओं का शोर चल पड़ा हैं ना जाने ये कैसा दौर चल पड़ा हैं देखु तो सब समझ आ जाता हैं सोचु तो हर बात सिर के ऊपर से निकल जाता हैं ख्वाबों में सुकून का एहसास होता है दौड़‍ ‍भरी ये जिंदगी हर रोज़ अपनों से दूर ले जाता हैं ©Pavitra Sutparai Magar"

 हवाओं का शोर चल पड़ा हैं
ना जाने ये कैसा दौर चल पड़ा हैं

देखु तो सब समझ आ जाता हैं
सोचु तो हर बात सिर के ऊपर से निकल जाता हैं

ख्वाबों में सुकून का एहसास होता है
 दौड़‍ ‍भरी ये जिंदगी हर रोज़ अपनों से दूर ले जाता हैं

©Pavitra Sutparai Magar

हवाओं का शोर चल पड़ा हैं ना जाने ये कैसा दौर चल पड़ा हैं देखु तो सब समझ आ जाता हैं सोचु तो हर बात सिर के ऊपर से निकल जाता हैं ख्वाबों में सुकून का एहसास होता है दौड़‍ ‍भरी ये जिंदगी हर रोज़ अपनों से दूर ले जाता हैं ©Pavitra Sutparai Magar

शायरी हिंदी में #Poetry

People who shared love close

More like this

Trending Topic