मेरे बग़ैर तुम्हारे दिल में फिर कभी गुलशन-ए-यार सा गुलज़ार न मिलेगा
रंज व ग़म, दर्द व सितम देने वाले तो मिलेंगे मगर कोई ग़मख़्वार न मिलेगा
हज़ारों हैं तेरी शैदाई इस नशे में चूर ऐ मेरे मग़रूर यार
दिखावे के लिए तो मिल जायेंगे हज़ारों दोस्त, मगर तुम्हें मुझ जैसा दोस्त वफ़ादार न मिलेगा
मो. इक्साद अंसारी
MD Iksad Ansari