Dear Home पहले से अत्याचार, अगर तुम झेले न होते तो | हिंदी Shayari

"Dear Home पहले से अत्याचार, अगर तुम झेले न होते तो सड़कों पर, यूँ आदमियों के मेले न होते। गर हिन्दू ही न करते, हिन्दू से तकरारें तो आज वतन की असमत से, दुश्मन खेले न होते।। - बेलगाम स्याही"

 Dear Home पहले से अत्याचार, अगर तुम झेले न होते
तो सड़कों पर, यूँ आदमियों के मेले न होते।
गर हिन्दू ही न करते, हिन्दू से तकरारें
तो आज वतन की असमत से, दुश्मन खेले न होते।।

                    - बेलगाम स्याही

Dear Home पहले से अत्याचार, अगर तुम झेले न होते तो सड़कों पर, यूँ आदमियों के मेले न होते। गर हिन्दू ही न करते, हिन्दू से तकरारें तो आज वतन की असमत से, दुश्मन खेले न होते।। - बेलगाम स्याही

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