न हो ग़मों से किसी का विसाल होली में ख़ुदा तू रखन | हिंदी शायरी

"न हो ग़मों से किसी का विसाल होली में ख़ुदा तू रखना सभी का ख़याल होली में न मुद्दआ कोई दूजा उछाल होली में फ़क़त उड़ा तू अबीर-ओ-गुलाल होली में सरापा रंग दे मुझको तू रंग में अपने रहे न दिल में कोई भी मलाल होली में हुई थी आवभगत लाठियों से खूब उनकी गये जो गाँव किशोरी के ग्वाल होली में रहा न फ़र्क़ अमीर-ओ-ग़रीब में कोई किया है रंगों ने ऐसा कमाल होली में मुझे तो लौट कर आना है फिर यहीं साक़ी सुरूर कितना भी हो बे-मिसाल होली में बँटे हुए हैं मज़ाहिब में रंग यूँ तो कई उठे न ज़र्फ़ पे इनके सवाल होली में ©पीयूष गोयल बेदिल"

 न हो ग़मों से किसी का विसाल होली में 
ख़ुदा तू रखना सभी का ख़याल होली में 

न मुद्दआ कोई दूजा उछाल होली में 
फ़क़त उड़ा तू अबीर-ओ-गुलाल होली में 

सरापा रंग दे मुझको तू रंग में अपने 
रहे न दिल में कोई भी मलाल होली में 

हुई थी आवभगत लाठियों से खूब उनकी 
गये जो गाँव किशोरी के ग्वाल होली में 

रहा न फ़र्क़ अमीर-ओ-ग़रीब में कोई 
किया है रंगों ने ऐसा कमाल होली में 

मुझे तो लौट कर आना है फिर यहीं साक़ी 
सुरूर कितना भी हो बे-मिसाल होली में 

बँटे हुए हैं मज़ाहिब में रंग यूँ तो कई 
उठे न ज़र्फ़ पे इनके सवाल होली में

©पीयूष गोयल बेदिल

न हो ग़मों से किसी का विसाल होली में ख़ुदा तू रखना सभी का ख़याल होली में न मुद्दआ कोई दूजा उछाल होली में फ़क़त उड़ा तू अबीर-ओ-गुलाल होली में सरापा रंग दे मुझको तू रंग में अपने रहे न दिल में कोई भी मलाल होली में हुई थी आवभगत लाठियों से खूब उनकी गये जो गाँव किशोरी के ग्वाल होली में रहा न फ़र्क़ अमीर-ओ-ग़रीब में कोई किया है रंगों ने ऐसा कमाल होली में मुझे तो लौट कर आना है फिर यहीं साक़ी सुरूर कितना भी हो बे-मिसाल होली में बँटे हुए हैं मज़ाहिब में रंग यूँ तो कई उठे न ज़र्फ़ पे इनके सवाल होली में ©पीयूष गोयल बेदिल

#Colors

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