न हो ग़मों से किसी का विसाल होली में
ख़ुदा तू रखना सभी का ख़याल होली में
न मुद्दआ कोई दूजा उछाल होली में
फ़क़त उड़ा तू अबीर-ओ-गुलाल होली में
सरापा रंग दे मुझको तू रंग में अपने
रहे न दिल में कोई भी मलाल होली में
हुई थी आवभगत लाठियों से खूब उनकी
गये जो गाँव किशोरी के ग्वाल होली में
रहा न फ़र्क़ अमीर-ओ-ग़रीब में कोई
किया है रंगों ने ऐसा कमाल होली में
मुझे तो लौट कर आना है फिर यहीं साक़ी
सुरूर कितना भी हो बे-मिसाल होली में
बँटे हुए हैं मज़ाहिब में रंग यूँ तो कई
उठे न ज़र्फ़ पे इनके सवाल होली में
©पीयूष गोयल बेदिल
#Colors