दोष सामने वाले में नहीं हम में दोष है जिस दिन हम निर्दोष हो जायेंगे तो एक पहचान है जब तुलसीदास जी निर्दोष हुए तो उनको दिखाई दे रहा है
जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि।
बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥7(ग)॥
भावार्थ-
जगत में जितने जड़ और चेतन जीव हैं, सबको राममय जानकर मैं उन सबके चरणकमलों की सदा दोनों हाथ जोड़कर वन्दना करता हूँ॥7 (ग)॥
©Akash Biradar75
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