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जान - पहचान ज्यादा बढ़ाने की कोशिश न करो; चुपचाप भजन करते रहो ! ख्याति से प्रपंच बढ़ेगा ! परिवार बढ़ेगा, भजन में बाधा आवेगी ! मान - पूजा होने लगेगी, और कहीं मान - पूजा को मन स्वीकार कर लेगा, तब तो समझो कि पतन के लिए गड्ढा ही खुद गया !! ©Akash Biradar75
Akash Biradar75
10 Love
नथनी दिनी यार ने, तो चिंतन बारम्बार, और नाक दिनी भगवान ने, तो प्यारे उनको दिया बिसार। ©Akash Biradar75
11 Love
दोष सामने वाले में नहीं हम में दोष है जिस दिन हम निर्दोष हो जायेंगे तो एक पहचान है जब तुलसीदास जी निर्दोष हुए तो उनको दिखाई दे रहा है जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि। बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥7(ग)॥ भावार्थ- जगत में जितने जड़ और चेतन जीव हैं, सबको राममय जानकर मैं उन सबके चरणकमलों की सदा दोनों हाथ जोड़कर वन्दना करता हूँ॥7 (ग)॥ ©Akash Biradar75
शरीर भाव ही असली नरक है और जिसकी स्थिति शरीर भाव से ऊपर उठ चुकी है वहीं मुक्त है ©Akash Biradar75
12 Love
सुख मेरा काँच सा था..* *न जाने कितनों को चुभ गया..!
8 Love
अब सपने संजोने वाली उन आखों का क्या कसूर नादान दिल की वो तो बस एक छवि, एक पहचान है
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