जज़्बात हालात और बुरे वक़्त का संगम हूँ मैं ।
कभी कलम तो कभी खंजर हूँ मैं ।
कभी सूखा कुआँ तो कभी आँखों से गिरे आंसुओं से भरा सैलाबे समंदर हूँ मैं ।
जिसने अच्छा समझा उसके लिए मित्र और हमें बुरे समझने वालों के लिए बुराई का निर्धारण हूँ मैं।
आपका अपना अनिल हूँ मैं ।
This is how i define myself