इस जहान में कुछ पूरा नहीं,
यहाँ सबकुछ तो अधूरा है।
किसीके ख्वाब अधूरे हैं, तो किसीके याद अधूरे हैं ।
किसी की असफलता अधूरी है, तो किसी की सफलता का अहसास अधूरा है।
किसीका इन आधुनिक युग की बिमारियों के कारण स्वास अधूरा है, तो किसीका खुदका अपना आवास अधूरा है।
यहाँ आखिर पूरा है तो सिर्फ किसी रोज़ अपने उस लक्ष्य को भेदने का विश्वास, बाकी सबकुछ तो अधूरा है यहाँ।
-अनिल वर्मा
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