White धूप–पानी सब कुछ दिया मैंने अपनों
को सब ने मुझे कीड़े वाला फल दिया,
बात हुई थी मंजिल तक साथ चलने की
कोई रास्ते में बदला किसी ने रास्ता बदल दिया।
सबके बुरे वक्त में मैं था
मेरे वक़्त किसी ने नज़रे चुराई,
कोई आँखें दिखा कर चल दिया ।
जब मुझे सहारे की जरूरत थी
तो अपनो ने मुझे सलाह दिया,
मैं सूरज जैसा चमकता रहा जब वो अंधेरे में थे
मैने जरा सी रौशनी मांगी
सब ने मिल के मेरा घर जला दिया ।
__धीरज कुमार
© Dheeraj kumar
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