Dheeraj kumar

Dheeraj kumar Lives in Patna, Bihar, India

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मेरे घर आज माँ आई है, आंखों की काजल कितनी खूबसूरत है, कोई पूछ लो मंदिर के ठेकेदारों से, क्या मुझे भी आज काले टीके की जरूरत है? © Dheeraj kumar

#durga #Evil #maa #Eye  मेरे घर आज माँ आई है,
आंखों की काजल
 कितनी खूबसूरत है,
कोई पूछ लो 
मंदिर के ठेकेदारों से,
क्या मुझे भी आज
 काले टीके की जरूरत है?

© Dheeraj kumar

White why jobs need certificate? Do the job and get the certificate. © Dheeraj kumar

#engineers_day #Quotes  White why jobs need certificate?
Do the job and get the certificate.

© Dheeraj kumar
#कविता #हिंदी #nojohindi  White धूप–पानी सब कुछ दिया मैंने अपनों
 को सब ने मुझे कीड़े वाला फल दिया,

बात हुई थी मंजिल तक साथ चलने की
कोई रास्ते में बदला किसी ने रास्ता बदल दिया।

सबके बुरे वक्त में मैं था
मेरे वक़्त किसी ने नज़रे चुराई,
कोई आँखें दिखा कर चल दिया ।

जब मुझे सहारे की जरूरत थी
तो अपनो ने मुझे सलाह दिया,
मैं सूरज जैसा चमकता रहा जब वो अंधेरे में थे
मैने जरा सी रौशनी मांगी
सब ने मिल के मेरा घर जला दिया ।
__धीरज कुमार

© Dheeraj kumar
 जो इज्जत मांगता नहीं कमाता है, उसे सर कहते हैं।
जहां लोग नहीं परिवार रहते हैं, उसे घर कहते हैं।

 जहाँ झूठ की बारिश हो, उसे चुनाव कहते हैं।
जो गम गैरों से नहीं अपनों से मिले, उसे घाव कहते हैं।
जो ज़ख्मों को निचोड़ कर बनता है, उसे शराब कहते हैं।
जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए देखे गए हों, उसे ख्वाब कहते हैं।

जो मानव मानता है,उसे नहीं
जो मानवता है, उसे धर्म कहते हैं।
जो अपने लिए नहीं औरों के लिए किया गया हो, उसे कर्म कहते हैं।

 जहां गणित नहीं गीता हो, उसे मन कहते हैं।
जो अपनी दुख पर नहीं औरों की भूख पर खर्च हुआ हो, उसे धन कहते हैं।

© Dheeraj kumar

जो इज्जत मांगता नहीं कमाता है, उसे सर कहते हैं। जहां लोग नहीं परिवार रहते हैं, उसे घर कहते हैं। जहाँ झूठ की बारिश हो, उसे चुनाव कहते हैं। जो गम गैरों से नहीं अपनों से मिले, उसे घाव कहते हैं। जो ज़ख्मों को निचोड़ कर बनता है, उसे शराब कहते हैं। जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए देखे गए हों, उसे ख्वाब कहते हैं। जो मानव मानता है,उसे नहीं जो मानवता है, उसे धर्म कहते हैं। जो अपने लिए नहीं औरों के लिए किया गया हो, उसे कर्म कहते हैं। जहां गणित नहीं गीता हो, उसे मन कहते हैं। जो अपनी दुख पर नहीं औरों की भूख पर खर्च हुआ हो, उसे धन कहते हैं। © Dheeraj kumar

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छुप छुप के रोता था मैं तूने हर आखों की बूंद को सरेआम कर दिया, यहां-वहां की परवाह नहीं थी मुझको पर तूने मेरी नजर में ही मेरी इज्जत को नीलाम कर दिया । © Dheeraj kumar

#nojohindi #Feel  छुप छुप के रोता था मैं
 तूने हर आखों की बूंद को सरेआम कर दिया, 
यहां-वहां की परवाह नहीं थी मुझको
 पर तूने मेरी नजर में ही 
मेरी इज्जत को नीलाम कर दिया ।

© Dheeraj kumar

#nojohindi #Feel

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 मन का घर गिर गया ओ नादान
 तेरी बेवफाई से, भरोसे से कत्ल किया तूने
 और जिंदा भी रखा कितनी सफाई से।

© Dheeraj kumar

मन का घर गिर गया ओ नादान तेरी बेवफाई से, भरोसे से कत्ल किया तूने और जिंदा भी रखा कितनी सफाई से। © Dheeraj kumar

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