बड़े बूढ़ों का अपमान।
साहब की झूठी शान।
ना बचा किसी में ईमान।
क्या यही है अपने गांव की पहचान ?
युवा बढ़ाएं ठेके की शान।
गांजे में लिपटे हैं प्राण।
चॉकलेट वाले पॉकेट में,
अब मिला है, गांजे को स्थान।
क्या यही हैअपने गांव की पहचान ?
जिन रिश्तो का था भाई बहन नाम,
किया गया है उनका घोर अपमान।
ना रही राखी,ना रहा उसका मान।
क्या यही है अपने गांव की पहचान ?
©Rose Ratan
" व्यंग "