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आजकल उसकी यादों में शायर होता जा रहा हूं। दिमाग की सुनता हूं कम और दिल का कायल होता जा रहा हूं।
जिसमें हो तेरी खबर ऐसी कोई अखबार चाहता हूं, जख्म से भरे हुए जिस्म पर नमक की फुहार चाहता हूं। ©Rose Ratan
Rose Ratan
12 Love
आज मेरे आंखों ने देखी उदासी बेबसी और तड़पन। अचानक पता चला सामने रखा था दर्पण। ©Rose Ratan
बड़े बूढ़ों का अपमान। साहब की झूठी शान। ना बचा किसी में ईमान। क्या यही है अपने गांव की पहचान ? युवा बढ़ाएं ठेके की शान। गांजे में लिपटे हैं प्राण। चॉकलेट वाले पॉकेट में, अब मिला है, गांजे को स्थान। क्या यही हैअपने गांव की पहचान ? जिन रिश्तो का था भाई बहन नाम, किया गया है उनका घोर अपमान। ना रही राखी,ना रहा उसका मान। क्या यही है अपने गांव की पहचान ? ©Rose Ratan
14 Love
बेवफाओं की महफिल से वाकिफ हो क्या ? कायराना जख्म दिए हैं तुमने अपने हाथों पे आशिक हो क्या ?😆 ©Rose Ratan
Maa मां तेरी लोरी से मधुर कोई आहट नहीं। बस तेरी ममतामय धुन ही आखरी है, अब किसी संगीतमय महफिल की चाहत नहीं। ©Rose Ratan
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