हर राज जानता था,हर कदम पर साथ था वो
ज़रा सी नाराज़गी क्या हुई कि रास्ता मोड़ रहा है वो
हम तो खुशामद करते रहे कि वो हमराज़ है मेरा
लेकिन मेरे हर राज़ को अब सबके पास पहुचा रहा है वो
किसपे भरोसा करूँ तो किस पर नहीं
जब मेरे साथ था तो मैं उसकी और मेरी जान था वो
अब मौत भी आये तो कोई डर नही
जीने की चाह थी मैं उसकी,और मेरी ज़िंदगी था वो
©Richa Dhar
#WoSadak गम भरी शायरी मेरी ज़िंदगी