"कर दे इनायत मेरे मौला ये मेरे नसीब में
कि अबकी ही बरस ह़ाजरी हो मेरी दयार-ए-हबीब में
कि जाकर वहाँ उनको अपना दुखड़ा सुनाऊँगा
कि कर दो अता मेरे हुज़ूर इल्म की दौलत मेरे नसीब में
मो.इक्साद अंसारी"
कर दे इनायत मेरे मौला ये मेरे नसीब में
कि अबकी ही बरस ह़ाजरी हो मेरी दयार-ए-हबीब में
कि जाकर वहाँ उनको अपना दुखड़ा सुनाऊँगा
कि कर दो अता मेरे हुज़ूर इल्म की दौलत मेरे नसीब में
मो.इक्साद अंसारी