रात ढली सुबह मुस्कराने लगी
होले होले उम्मीद पंख फैलाने लगी
नन्ही नन्ही छोटी-छोटी प्यारी-प्यारी
पंछियों की चहचहाहट आने लगी
रक्त लालिमा से सजी सूरज की किरणें धरती को सतरंगी ओढ़नी पहनाने लगी
पल-पल बरसती नर्म फूलों की चादर
राहों को महफ़िल सी सजाने लगी
कौन कहता जिंदगी में कोई रंग नही
रंग ने ही तो जिंदगी की कहानी लिखी
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