छब्बीस जनवरी आया हैं दिल में उमंग बन छाया हैं सब ज | हिंदी कविता

"छब्बीस जनवरी आया हैं दिल में उमंग बन छाया हैं सब जन झूमे नाचें गाए गणतंत्र की खुशियाँ मनाए अधिकार मिला अपना-अपना पूर्ण हुआ लोकतंत्र सपना संविधान करता रखवाली अनुसंधान मर्यादा वाली गणतंत्र सभी को प्यारा भारत मेरा सब से न्यारा है इतिहास सभी बलिदानी अमर शहीदों की कुर्बानी देश प्रेम की ज्योति जलाई भारत फिर आज़ादी पाई भेदभाव तुम पिछे छोड़ो हिन्दुस्तानी मूंह न मोड़ों कृष्णा श्रीवास्तव, राज ©Krishna Shrivastav"

 छब्बीस जनवरी आया हैं
दिल में उमंग बन छाया हैं
सब जन झूमे नाचें गाए
गणतंत्र की खुशियाँ मनाए
अधिकार मिला अपना-अपना
पूर्ण हुआ लोकतंत्र सपना
संविधान करता रखवाली
अनुसंधान मर्यादा वाली
गणतंत्र सभी को प्यारा
भारत मेरा सब से न्यारा
है इतिहास सभी बलिदानी
अमर शहीदों की कुर्बानी
देश प्रेम की ज्योति जलाई
भारत फिर आज़ादी पाई
भेदभाव तुम पिछे छोड़ो
हिन्दुस्तानी मूंह न मोड़ों
कृष्णा श्रीवास्तव, राज

©Krishna Shrivastav

छब्बीस जनवरी आया हैं दिल में उमंग बन छाया हैं सब जन झूमे नाचें गाए गणतंत्र की खुशियाँ मनाए अधिकार मिला अपना-अपना पूर्ण हुआ लोकतंत्र सपना संविधान करता रखवाली अनुसंधान मर्यादा वाली गणतंत्र सभी को प्यारा भारत मेरा सब से न्यारा है इतिहास सभी बलिदानी अमर शहीदों की कुर्बानी देश प्रेम की ज्योति जलाई भारत फिर आज़ादी पाई भेदभाव तुम पिछे छोड़ो हिन्दुस्तानी मूंह न मोड़ों कृष्णा श्रीवास्तव, राज ©Krishna Shrivastav

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