"वो पूछते हैं मुझसे - प्यार करती हो कितना..?
मैंने कहा - रात करती है प्यार अपने चाँद से जितना,
उसके होने से रात चाँदनी कहलाती है..
उसके न होने से रात अमावस हो जाती है..
करती हूँ तुमसे मैं प्यार इतना..
कि होने से तेरे रौशन है मेरे दिन रात..
और जो तू नहीं तो जीवन है मेरा जैसे - स्याह काली रात..."