White मेरे अंत में मेरी लाश पे गिद्ध बाज चील नहीं | हिंदी कविता

"White मेरे अंत में मेरी लाश पे गिद्ध बाज चील नहीं बल्कि जमावड़ा होगा सियासत का , धर्म के ठेकेदार का जात पात वाले फफूँदी का वो उखाड़ेंगे साहित्यिक नाखुन मेरे ऊँगली से वो नोचेंगे चेहरा यथार्थ का और चोच मार खाएँगे हर उस उगे हुए शिश को जिसे कभी सहर्ष स्वीकार नहीं हो पाया गुलामी । ©Author kunal"

 White मेरे अंत में 
मेरी लाश पे
गिद्ध बाज चील नहीं 
बल्कि
जमावड़ा होगा 
सियासत का ,
 धर्म के ठेकेदार का 
जात पात वाले फफूँदी का 
वो उखाड़ेंगे साहित्यिक नाखुन मेरे ऊँगली से 
वो नोचेंगे चेहरा यथार्थ का 
और चोच मार खाएँगे हर उस उगे हुए शिश को 
जिसे कभी सहर्ष स्वीकार नहीं हो पाया 
गुलामी ।

©Author kunal

White मेरे अंत में मेरी लाश पे गिद्ध बाज चील नहीं बल्कि जमावड़ा होगा सियासत का , धर्म के ठेकेदार का जात पात वाले फफूँदी का वो उखाड़ेंगे साहित्यिक नाखुन मेरे ऊँगली से वो नोचेंगे चेहरा यथार्थ का और चोच मार खाएँगे हर उस उगे हुए शिश को जिसे कभी सहर्ष स्वीकार नहीं हो पाया गुलामी । ©Author kunal

#sad_shayari
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