होली से याद आया कि होली की तैयारी में
घर घर बनते थे पकवान
गुझिया की मीठी-मीठी महक
चट करने को करती थी हैरान
दाल की चक्की और दहीबड़ा
न जाने कितने मिलते स्वाद
होली की मस्ती में जब मिलते
खाने में लगते थे ला जवाब
बिन ठंडाई के कैसी होली
कांजी बड़ा और आलू पपड़ी
कई घरों में बनाए जाते थे
मालपुआ और पुरण पोली।
अब रह गई यादें और बातें
रसोइयों में नहीं दिखती कढ़ाई
आन लाइन शापिंग के दौर में
अब मिलती पैक्ड नमकीन मिठाई।
©Balwant Mehta
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