White Part :- 05
**एक दिन गजब का खेल हुआ, सपनों-सा उससे मेल हुआ।
वो बोली, "पागल देख, ये सच्चाई है।
तुझसे मिलने तेरी साथी खुद चलकर आई है।"
मैंने पूछा, "सच है क्या? क्या अब भी मिलता प्यार है?"
फिर याद आया, अरे ये तो महादेव का चमत्कार है।
अब दोनों में बातें होती हैं, सुख-दुख में अंखियाँ रोती हैं।
मैं पीछे-पीछे चलता हूँ, वो आगे-आगे होती है।
कहीं देख न ले ये जग वाले, ये भी नज़र में होती हैं।
खैर, मेहनत तो रंग लाई है, वो मिलने को बुलाई है।
और गोलगप्पे तो खाए हमने, पर बिल उसने चुकाई है।
हाय! हाय रे ये चांदनी रातें, कहीं नज़र न लगे संसार का।
अरे तू भी तो कभी बोल दे यारा, अब समझी मतलब प्यार का।**
- वीरा अनजान
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©Bir Bahadur Singh
#love_qoutes