White Part :- 01
**एक शब्द है जो व्यवहार का, एक शब्द है जो श्रृंगार का,
मैं तुमसे मिलकर जाना हूँ, क्या मतलब होता प्यार का।**
वो सड़क किनारे खड़ा रहना, आवारा-सा कहीं पड़ा रहना,
मैं कई गलियों में घूमा हूँ, कई रस्तों पर मैं झूमा हूँ।
एक दशक से थी तरसीं अखियाँ , क्या पूछतीं न थीं वो सखियाँ,
क्यों खड़ा रहता अनजान है, क्या खोजता ये नादान है।
तब तो तुम मुस्काती होगी, हंसी को खूब छुपाती होगी।
कहती होगी, "पता नहीं इसमें मेरी कोई खता नहीं।"
लोगों को क्या न पता होगा, किसे न ये रोग लगा होगा।
खैर, छोड़ो ये बात पुरानी है, अब नई क़िस्से सुनानी हैं।
कौन तुम्हें यूं प्यार करेगा? कौन इतना इंतजार करेगा?
कैसे तुम्हें बतलाऊं मैं, क्या दर्द है इस लाचार का ।
मैं तुमसे मिलकर जाना हूँ, क्या मतलब होता प्यार का....
- वीरा अनजान
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©Bir Bahadur Singh
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