चल दोनों एक दूजे को खत लिखते हैं!
कुछ बात कुछ बात-बे-बात लिखते हैं!
साथ साथ भीगी हुई बरसात लिखते हैं!
और हिज़्र में काटी हुई रात लिखते हैं!
दोनों मिलकर तेरी मेरी बात लिखते हैं!
कुछ सच्चे कुछ झूठे हालात लिखते हैं!
चल बेहद और बेइंतहा याद लिखते हैं!
आओ हम वस्ल की वारदात लिखते हैं!
चारगों में ढलती हुई शाम लिखते हैं!
हाथों में जब थामा था हाथ लिखते हैं!
चल दोनों एक दूजे को खत लिखते हैं!
मिलकर एक मुकम्मल बात लिखते हैं!
©अनूप 'समर'
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