हिम शैल श्रृंग शिखर जिसके , चरण मे अम्बुध अपार
उर सदय जिसका ,पूजता जिसको सारा संसार
अंक में जिसके अयुत-लक्ष, रत्न हैं भरे पड़े
प्रान्तर मे जिसके खड़े वृक्ष अर्बुद सम हरे भरे ।
नील नभ गर्जित स्वयं हो जयकार जिसका करे
हो विघ्न कोई भी बड़ा, देव आकर खुद हरे
ऐसे पूजित प्रान्त में ले जन्म कवि भाग्य निश्चय ही बढ़े
जिसकी भूमि लहू से सिंचित करते आये वीर बड़े।।
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©️®️vikash❤
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