गंगा बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल क

"गंगा बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करती तेरे द्वार पर जो भी जाता पवित्र होकर वह है आता ! तुम हैं सब की रक्षक बिना मार्ग की आप निकलती अपना राह खुद बनाती बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करतीं जो तेरे द्वार पर जाता माता पाप श्राप वही त्यागता हर दुख को दूर कर हर लेती माँ मेरी रक्षक सबकी रक्षक दुख पाप नाशिनी माता तेरे द्वार पर हर कोई जाता बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करती गंगे गंगे हर हर गंगे कह कर अपने पाप धुलाता बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करती हम सब तुझको दूषित कर खुद पाप धो आते फिर भी सहती कुछ ना कहती तू है माता गंगा मैया आओ हम सब अपनी सोच है बदले स्वच्छ बनाएं गंगा मैया को आओ मिलकर स्वच्छ करें इस अमृत जल को🙏 ©Puja kumari"

 गंगा


बहती धारा की प्रवाह में
 झर झर करती कल कल करती
 तेरे द्वार पर जो भी जाता
 पवित्र होकर वह है आता ! 
                             तुम हैं सब की रक्षक 
                                  बिना मार्ग की आप निकलती
                                     अपना राह खुद बनाती 
बहती धारा की प्रवाह में
 झर झर करती कल कल करतीं
                                    जो तेरे द्वार पर जाता माता 
                                          पाप श्राप वही त्यागता 
                                           हर दुख को दूर कर हर लेती माँ

मेरी रक्षक सबकी रक्षक 
दुख पाप नाशिनी माता तेरे द्वार पर हर कोई जाता

                                           बहती धारा की प्रवाह में 
                                      झर झर करती कल कल करती 

 गंगे गंगे हर हर गंगे
 कह कर अपने पाप धुलाता 
                                             बहती धारा की प्रवाह में 
                                      झर झर करती कल कल करती
 
हम सब तुझको दूषित कर खुद पाप धो आते
 फिर भी सहती कुछ ना कहती
 तू है माता गंगा मैया  
                                   आओ हम सब अपनी सोच है बदले 
                                            स्वच्छ बनाएं गंगा मैया को

 आओ मिलकर स्वच्छ करें इस अमृत जल को🙏

©Puja kumari

गंगा बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करती तेरे द्वार पर जो भी जाता पवित्र होकर वह है आता ! तुम हैं सब की रक्षक बिना मार्ग की आप निकलती अपना राह खुद बनाती बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करतीं जो तेरे द्वार पर जाता माता पाप श्राप वही त्यागता हर दुख को दूर कर हर लेती माँ मेरी रक्षक सबकी रक्षक दुख पाप नाशिनी माता तेरे द्वार पर हर कोई जाता बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करती गंगे गंगे हर हर गंगे कह कर अपने पाप धुलाता बहती धारा की प्रवाह में झर झर करती कल कल करती हम सब तुझको दूषित कर खुद पाप धो आते फिर भी सहती कुछ ना कहती तू है माता गंगा मैया आओ हम सब अपनी सोच है बदले स्वच्छ बनाएं गंगा मैया को आओ मिलकर स्वच्छ करें इस अमृत जल को🙏 ©Puja kumari

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