White कौन जाने दिल में किसी के चलता क्या है, राज़ | हिंदी शायरी

"White कौन जाने दिल में किसी के चलता क्या है, राज़ छिपा कर दबा कर भी रखता क्या है। खैर थक गया हूँ सुनते सुनते मैं ज़माने की, आखिर! यह ज़माना मेरा लगता क्या है। ©एस पी "हुड्डन""

 White कौन जाने दिल में किसी के चलता क्या है,
 राज़ छिपा कर दबा कर भी रखता क्या है।
खैर थक गया हूँ सुनते सुनते  मैं ज़माने की,
आखिर! यह  ज़माना  मेरा  लगता क्या है।

©एस पी "हुड्डन"

White कौन जाने दिल में किसी के चलता क्या है, राज़ छिपा कर दबा कर भी रखता क्या है। खैर थक गया हूँ सुनते सुनते मैं ज़माने की, आखिर! यह ज़माना मेरा लगता क्या है। ©एस पी "हुड्डन"

#ज़माना

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