मैंने हमेशा अपनों से डरना सीखा है ज़कात और खैरात | हिंदी कविता

"मैंने हमेशा अपनों से डरना सीखा है ज़कात और खैरात बस गैरों से ही तो मिली है ©Sahil"

 मैंने हमेशा अपनों से डरना सीखा है 

ज़कात और खैरात बस गैरों से ही तो मिली है

©Sahil

मैंने हमेशा अपनों से डरना सीखा है ज़कात और खैरात बस गैरों से ही तो मिली है ©Sahil

#डर

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