हमें प्रेम पुष्प सा नही चाहिऐ ,
कि कोई उसे तोड सके
या उसके मुरझाने का डर हो
या एक एक करके उसकी
पत्तियां टूटने लग जाऐं ,
फिर उसका अस्तित्व ही न रहे ,
प्रेम कांटों सा ही सही है ,
जिसके न टूटने का डर है
न मुरझाने का खौफ ..
©krishna singh chauhan
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#प्रेम #तुम