धरा सुसज्जित,नभ नीलाम्बर,
वादियों में है उत्कर्ष।
मन प्रफुल्लित,आत्मा विशुध्द,
हृदय में हैं हर्ष।
उत्साह व्याप्त,न्यूनावेश,
खुशियाँ प्रस्फुटित सहर्ष।
क्लेश द्वेष संताप नष्ट हो,
नष्ट हो प्रत्येक कर्ज।
दया प्रेम यशगान प्रवाहित,
सरस निर्मल स्पर्श।
अलौकिक अनुपम दृश्य विहंगम,
जन्मोत्सव मेरे प्रभु श्रीराम का,
दृष्टि सृष्टि संतृप्ति पाती,
ऐसा मेरा हिन्दू नववर्ष।
आपको सपरिवार
रामनवमी और हिन्दू नववर्ष
की असीम बधाई व शुभकामनाएं..🚩🙏🏻
©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा
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