ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। मेरी खुद की नजरे न | हिंदी Poetry

"ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। मेरी खुद की नजरे नहीं हटती जब मैं तेरी छवि केंवस पर उतारति हूँ शायद इसलिए ऊपर वाला भी तुझे जमीं पर भेजकर सकूंन से ना रह पाया होगा पल दो पल की जिंदगी देकर तुझे हम से दगा कर गया तेरी झलक दिखा कर फिर अपने संग ले गया। ©Timsi thakur"

 ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। मेरी खुद की नजरे नहीं हटती 
जब मैं तेरी छवि केंवस पर उतारति हूँ 
शायद इसलिए ऊपर वाला भी तुझे जमीं 
पर भेजकर सकूंन से ना रह पाया होगा 
पल दो पल की जिंदगी देकर तुझे 
हम से दगा कर गया 
तेरी झलक दिखा कर फिर 
अपने संग ले गया।

©Timsi thakur

ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। मेरी खुद की नजरे नहीं हटती जब मैं तेरी छवि केंवस पर उतारति हूँ शायद इसलिए ऊपर वाला भी तुझे जमीं पर भेजकर सकूंन से ना रह पाया होगा पल दो पल की जिंदगी देकर तुझे हम से दगा कर गया तेरी झलक दिखा कर फिर अपने संग ले गया। ©Timsi thakur

#HamariAdhur

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