White न कोई अपना लगता था फिर भी नींदों में आता है | हिंदी कविता

"White न कोई अपना लगता था फिर भी नींदों में आता है तू दिल मे बेचैनी सी लगती है न है,फिर भी पास में लगता है तू रु-ब-रु हुआ न कभी मैं तुझसे फिर भी हर वक़्त दिखता है तू तेरी दानवीरता थी सच्ची कलयुग का 'कर्ण 'लगता है तू अभी तो शुरू हुआ था प्यार तुझसे और बिन कुछ कहे छोड़ चल दिया तू कहना-सुनना था कितनी बातें तुझसे कुछ पल तो इंतज़ार कर लेता तू एक कसक सी मेरे दिल में होती है क्यूँ ऐसे हम सबको धोखा दे गया तू दिल को अब अपने मैं कैसे समझाऊं लौटकर अब न कभी वापस आएगा तू ©विजय"

 White न कोई अपना लगता था
फिर भी नींदों में आता है तू
दिल मे बेचैनी सी लगती है
न है,फिर भी पास में लगता है तू

रु-ब-रु हुआ न कभी मैं तुझसे
फिर भी हर वक़्त दिखता है तू
तेरी दानवीरता थी सच्ची
कलयुग का 'कर्ण 'लगता है तू

अभी तो शुरू हुआ था प्यार तुझसे
और बिन कुछ कहे छोड़ चल दिया तू
कहना-सुनना था कितनी बातें तुझसे
कुछ पल तो इंतज़ार कर लेता तू

एक कसक सी मेरे दिल में होती है
क्यूँ ऐसे हम सबको धोखा दे गया तू
दिल को अब अपने मैं कैसे समझाऊं
लौटकर अब न कभी वापस आएगा तू

©विजय

White न कोई अपना लगता था फिर भी नींदों में आता है तू दिल मे बेचैनी सी लगती है न है,फिर भी पास में लगता है तू रु-ब-रु हुआ न कभी मैं तुझसे फिर भी हर वक़्त दिखता है तू तेरी दानवीरता थी सच्ची कलयुग का 'कर्ण 'लगता है तू अभी तो शुरू हुआ था प्यार तुझसे और बिन कुछ कहे छोड़ चल दिया तू कहना-सुनना था कितनी बातें तुझसे कुछ पल तो इंतज़ार कर लेता तू एक कसक सी मेरे दिल में होती है क्यूँ ऐसे हम सबको धोखा दे गया तू दिल को अब अपने मैं कैसे समझाऊं लौटकर अब न कभी वापस आएगा तू ©विजय

#Ratan_Tata

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