मिला जब उससे तो उसके चेहरे पर खुशी थी
लग रहा था कि बहुत दिनों बाद वो हंसी थी
आँखों में थी उसकी एक अजीब सी चमक
खुशी से उसका चेहरा भी रहा था दमक
की उसने ढेर सारी बातें,
बताई उसके साथ जो बीती थी
सुनाया किस्सा की किस हालात में वो जीती थी
मैं सुनता रहा, क्यूंकि अब मेरे बस में कुछ नहीं था l
काश करती भरोसा मुझ पर जब सब सही था l
तब तूने मेरा कहा न माना था,
मुझसे ज्यादा किसी और को जाना था
सुनाती थी मुझको अपने सपने,
की चाहिए मुझको बड़े घर और गहने
मेरे पास नहीं था उतना की सच कर पाता तेरा सपना
पर हाँ जितना था काफी था कि जी लेते हम
तेरी खुशी के लिए सारे ग़म पी लेते हम
पर अब क्या फायदा ईन सब बातों का
समय हाथ से फिसल चुका है,
वक्त काफी आगे निकल चुका है l
©Rohit Kumar
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