मेरे दुश्मन वो दुश्मन है मेरे दुश्मन जो मन ही मन ज | हिंदी कविता
"मेरे दुश्मन वो दुश्मन है मेरे दुश्मन जो मन ही मन जलते हैं
हम भी कहां कम हैं उनके मन में जलकर ही तो
निखरते है आग लगी होती है उनके मन में उस
आग से हम कहां डरते हैं वो दुश्मन है तो क्या हुआ हम भी क्या कम है।"
मेरे दुश्मन वो दुश्मन है मेरे दुश्मन जो मन ही मन जलते हैं
हम भी कहां कम हैं उनके मन में जलकर ही तो
निखरते है आग लगी होती है उनके मन में उस
आग से हम कहां डरते हैं वो दुश्मन है तो क्या हुआ हम भी क्या कम है।